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परिचय


प्रचण्ड प्रवीर बिहार के मुँगेर जिले में जन्मे और पले बढ़े हैं. इन्होंने सन् २००५ में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली से रासायनिक अभियांत्रिकी में प्रौद्योगिकी स्नातक की उपाधि ग्रहण की. सन् २०१० में हार्पर हिन्दी से प्रकाशित इनके पहले उपन्यास 'अल्पाहारी गृहत्यागी: आई आई टी से पहले' ने कई युवा हिन्दी लेखकों को प्रेरित किया. दख़ल प्रकाशन से, सन् २०१६ में प्रकाशित इनकी दूसरी पुस्तक, 'अभिनव सिनेमा: रस सिद्धांत के आलोक में विश्व सिनेमा का परिचय', हिन्दी के वरिष्ठ आलोचकों द्वारा बेहद सराही गई. इन दिनों प्रचण्ड प्रवीर गुड़गाँव में एक रिस्क मैनेजमेण्ट फर्म में काम करते हैं.​​

विश्व पुस्तक मेला २०१४

बीस फरवरी,  को नई दिल्ली में २२वें विश्व पुस्तक मेले में हिंदी लोकप्रिय लेखन और बेस्टसेलर्स पर चर्चा के लिए पैनलिस्ट
अल्पाहारी गृहत्यागी

चंडीगढ़ साहित्य महोत्सव २०१४

सत्यानंद निरुपम के साथ बातचीत में

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मुंगेर की तस्वीरें

लेख

समाचारों में

"नई खेप में सबसे अच्छा राइटर तो प्रचंड प्रवीर है। उसे उस तरह की पब्लिसिटी नहीं मिली। उनकी कमाल किताब है, अल्पाहारी गृहत्यागी। - प्रभात रंजन"


"इसलिए यह देख कर हैरत होती है कि मुंगेर, बिहार के एक युवा उपन्यासकार (‘अल्पाहारी गृहत्यागी’, हार्पर), जो आईआईटी, दिल्ली से केमिकल इंजिनियरिंग के बी.टेक. हैं, प्रचण्ड प्रवीर ने हिंदी फिल्म सैद्धांतिकी के ‘वर्जिन’ मुक्ताकाश में संपाति जैसी एक क्वांटम उड़ान भरी है और संस्कृत के रस-सिद्धांत को विश्व-सिनेमा पर लागू करने की कोशिश की है। - विष्णु खरे"


"आईआईटिन प्रचंड प्रवीर ने अल्पाहारी गृहत्यागी लिख कर आईआईटी जाने की बाधाओं पर रोशनी डाली थी। प्रचंड प्रवीर ने आईआईटी के दाखिले की लालसा लिए एक लडक़े की कहानी को बहुत ही सहज-सरल भाषा में लिखा था। जाहिर सी बात है उनके पास इस तरह के अनुभव का खजाना होगा। उसके बाद तो आईआईटिनों और दूसरे संस्थानों से इंजीनियरिंग की पढ़ाई किए लोगों की लाइन लग गई। - हिंदी साहित्य के इंजीनियर, आउटलुक"


Prachand Praveer, a 32- year old from Munger in Bihar who works at a company in Gurgaon, presents the stories in the second part of Alpahari Grihatyagi with this remarkable proposition: the stories, originally written in English and missing several pages, were found in an exercise book at a raddi shop in Patna and were translated—and thus completed— for Hindi readers by the great poet Pandit Sashidhar Shastri. (Praveer dedicates this section of the book, titled ‘Gul Factory Ki Mahan Dastan’, to Don Quixote.)


न्यू ऐज राइटर्स


हिंदी में भी शुरू हुआ पॉपुलर लेखन


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